“01मीठा ज़हर: एक सच जिसने आँखें खोल दीं” (mitha jehar aik sach jisne aankhe khol di)

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मीठा ज़हर magicneed story

मीठा ज़हर: magicneed story,

सौरभ, एक साधारण लेकिन होशियार लड़का, जिसे उसके माँ-बाप ने बड़े ही प्यार और मेहनत से पाला था। माँ उसके लिए सुबह 5 बजे उठकर नाश्ता बनाती, और पापा अपने ख़ुद के खर्च काटकर उसकी पढ़ाई के लिए पैसे बचाते। लेकिन एक दिन, उसकी ज़िंदगी में दीक्षि नाम की एक लड़की आई।

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दीक्षि खूबसूरत थी, बोलने में मीठी, और सब कुछ वैसे ही करती थी जैसे कोई फिल्मी प्रेमिका करती हो। सौरभ धीरे-धीरे उसमें इतना डूबता गया कि उसने अपना परिवार, अपने संस्कार, और अपने मूल्य सब कुछ भूलने लगा।

अब वह रात-रात भर उससे बात करता, कॉलेज छोड़ देता, माँ के हाथ का खाना खाने से मना करता और पापा से झूठ बोलने लगा। दीक्षि उसे कहती, “तुम्हारे घरवाले तुम्हें समझ नहीं सकते, सिर्फ मैं ही तुम्हें समझती हूँ।” और सौरभ को लगने लगा कि यही सच्चा प्यार है।

सौरभ की माँ अब हर रात रोती थी। वह बार-बार सोचती थी कि कहां गलती हो गई। पापा चुपचाप ऑफिस जाते, लेकिन उनके चेहरे की झुर्रियाँ और गहरी होती जा रही थीं। सौरभ अब घर में एक मेहमान बन चुका था।

गलत प्यार”, “माता-पिता का दुख”, “मीठा ज़हर”, “नकली मोहब्बत”, “सच्ची समझ” — उसकी ज़िंदगी की असलियत बन चुके थे।

लेकिन एक दिन उसके बड़े मामाजी, जो गाँव से आए थे, ने सब कुछ देख लिया। उन्होंने सौरभ को छत पर बुलाया और बहुत ही शांत स्वर में पूछा:

“बेटा, ये लड़की तुम्हें क्या दे रही है जो तुम्हारी माँ-बाप ने नहीं दिया?”

सौरभ चुप।

“उसने तुम्हें खाना दिया? जब तू बीमार था, क्या वह अस्पताल में थी? या जब तू गिरा था, तो किसने तुझे उठाया?”

सौरभ की आँखों में नमी आने लगी।

मामाजी आगे बोले, “मीठा ज़हर,

बेटा, दिखने में आकर्षक लगता है, लेकिन धीरे-धीरे आत्मा को खत्म कर देता है। प्यार वो नहीं होता जो अपने लिए तुम्हें अपनों से दूर करे, बल्कि वो होता है जो तुम्हें अपनों के और करीब लाए।”

सौरभ के दिमाग में मानो बिजली कौंध गई। उसे याद आया उसकी माँ की वो आँखें जो हर बार इंतज़ार करती थीं, पापा की वो चुप्पी जिसमें हज़ारों शब्द थे।

वो दौड़ता हुआ नीचे आया, माँ के पैरों में गिर पड़ा और रोते हुए कहा, “माँ…माफ़ कर दो। मैंने सब कुछ गलत समझा। वो सिर्फ नकली मोहब्बत थी… एक मीठा ज़हर।”

उस दिन के बाद सौरभ ने दीक्षि से सारे रिश्ते तोड़ दिए। उसने अपने माँ-बाप को समय देना शुरू किया, पढ़ाई पर ध्यान दिया और सबसे बड़ी बात – सच्चे रिश्तों की अहमियत को समझा।

“ऐसे मीठे ज़हर को गले मत लगाओ, जो तुम्हारे पूरे जीवन को बर्बाद कर सकता है!”

अगर आप भी किसी नकली मोहब्बत में फँस गए हैं… एक बार पीछे मुड़कर देखिए — आपके अपने अब भी वहीं खड़े हैं, इंतज़ार में।

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