Hybrid Annuity Model (HAM) and its impact in India
भारत में सड़क निर्माण के विकास के लिए विभिन्न प्रकार के मॉडल्स का उपयोग किया जाता है। इनमें से एक प्रमुख मॉडल है हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल (Hybrid Annuity Model – HAM), जिसे जनवरी 2016 में पेश किया गया था। यह मॉडल भारत के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के नेतृत्व में सड़क बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए लागू किया गया था, ताकि इन परियोजनाओं में निवेश को बढ़ावा मिल सके। HAM मॉडल का मुख्य उद्देश्य सड़क परियोजनाओं को गति देना और निवेशकों को आकर्षित करना था।

हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल (HAM) क्या है?
हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, ईपीसी (Engineering Procurement Construction) और बीओटी (Build, Operate, Transfer) मॉडल का संयोजन है।
ध्यान देने योग्य मुख्य विषय यह है की इस मॉडल में सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों के बीच निवेश का साझा वितरण होता है। कुछ 4 विषेस पॉइंट्स के जरिये इस के अंतर को समझा जा सकता है
- इसमें ईपीसी के तहत सरकारी समर्थन होता है,
- जबकि बीओटी मॉडल के तहत निजी कंपनियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
- ईपीसी मॉडल में सरकार सड़क निर्माण का खर्च उठाती है, लेकिन निर्माण का काम निजी कंपनियों को सौंपा जाता है।
- दूसरी ओर, बीओटी मॉडल में निर्माण, संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी निजी कंपनियों पर होती है, और ये कंपनियां टोल संग्रह के जरिए अपनी लागत और मुनाफा कमाती हैं।
हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल के मुख्य पहलू
हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल को इस प्रकार समझा जा सकता है:
- साझा वित्त पोषण: इस मॉडल में कुल परियोजना लागत का 40% हिस्सा सरकार द्वारा और 60% हिस्सा निजी कंपनियों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।
- वार्षिकी प्रणाली: इस मॉडल में सरकार निजी कंपनियों को वार्षिकी के रूप में भुगतान करती है, जो उनके लिए एक स्थिर आय स्रोत होता है। इसके तहत निजी कंपनियों को यातायात की संख्या या टोल संग्रह पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
- खर्चों का वितरण: 40% सरकारी योगदान पांच चरणों में दिया जाता है, और शेष 60% की व्यवस्था निजी कंपनियां करती हैं। यह सुनिश्चित करता है कि परियोजना का वित्तीय भार दोनों पक्षों पर समान रूप से बांटा गया हो।
- कम जोखिम: सरकार और निजी कंपनियों के बीच जिम्मेदारियां साझा की जाती हैं, जिससे दोनों को लाभ होता है। निजी कंपनियों को सड़क यातायात की संभावना पर जोखिम कम होता है क्योंकि सरकार द्वारा निर्धारित वार्षिकी राशि मिलती है।
भारत में Hybrid Annuity Modelका महत्व
भारत जैसे विकासशील देश में जहां सड़क बुनियादी ढांचे की महत्वपूर्ण कमी है, हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल बहुत महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। इस मॉडल के कई फायदे हैं, जैसे:
- बेहतर वित्तीय तंत्र: इस मॉडल में वित्त का योगदान सरकार और निजी क्षेत्र दोनों से आता है, जिससे परियोजनाओं के लिए पर्याप्त वित्तीय समर्थन मिल पाता है। यह सरकार और निजी कंपनियों के बीच जोखिम को साझा करता है और दोनों के लिए अधिक आकर्षक बनाता है।
- राजस्व का स्थिर स्रोत: निजी कंपनियों को अब यातायात की कम संख्या या टोल संग्रह पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। सरकार द्वारा सुनिश्चित वार्षिकी भुगतान मिलने से उनके राजस्व का स्रोत स्थिर हो जाता है।
- सड़क विकास में गति: हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल के तहत, सड़क निर्माण कार्य तेजी से पूरा होता है। यह सरकार के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि बेहतर सड़क नेटवर्क आर्थिक विकास और व्यापार की गति को बढ़ावा देता है।
- सामाजिक रिटर्न: जब सड़क बुनियादी ढांचा बेहतर होता है, तो इसका सकारात्मक असर समाज और देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। इससे रोजगार के अवसर बढ़ते हैं, व्यापार की गति तेज होती है, और ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में यातायात की स्थिति बेहतर होती है।
हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल से जुड़ी चुनौतियां और समाधान
बीओटी मॉडल में जहां निजी कंपनियों को अपनी वित्तीय व्यवस्था स्वयं करनी पड़ती थी, वहां कई बार निजी निवेशक सामने नहीं आते थे। उच्च लागत और ऋण के जोखिम की वजह से कई परियोजनाएं अटक जाती थीं। इसके अलावा, कम यातायात वाली सड़कों पर निजी कंपनियों को राजस्व कम होता था, जिससे वे परियोजनाओं में निवेश करने से हिचकिचाते थे।
हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल ने इन समस्याओं का समाधान किया है। सरकार अब एक निश्चित वार्षिकी राशि देती है, जिससे निजी कंपनियों को राजस्व कम होने का डर नहीं रहता। इसके साथ ही, सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच जिम्मेदारियां स्पष्ट रूप से बांटी गई हैं, जिससे परियोजना के जोखिम में कमी आती है।
हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल (HAM) भारतीय सड़क बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक बहुत ही प्रभावी उपाय साबित हुआ है। यह मॉडल न केवल सरकार और निजी कंपनियों के बीच वित्तीय जिम्मेदारी का बेहतर वितरण करता है, बल्कि सड़क निर्माण में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए एक मजबूत आधार भी प्रदान करता है। इस मॉडल के तहत सड़क परियोजनाओं के लिए वित्तीय स्थिरता और जोखिम का बंटवारा बेहतर तरीके से किया गया है, जो देश के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल (HAM) के बारे में जो लोग अधिक गहराई से जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, उनके लिए यहाँ कुछ अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) – हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल के लिए दिशानिर्देश
हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल (HAM) के बारे में इंजीनियरों के मन में कई प्रकार के सवाल उत्पन्न हो सकते हैं और इस लेख को पढ़ने के बाद इन सारे सवालों का उत्तर आपको मिलेगा , साथ ही अगर आप किसी नौकरी के लिए इंटरव्यू को फेस करने जा रहे है तो ये सवाल आपको बहुत ही अच्छे से समझ लेने हैं और अगर कोई कठिनाई आपको लगे तो हमसे प्रश्न कर के उत्तर प्राप्त कर सकते हैं, वे निम्नलिखित हैं:
Frequently Asked Questions about (HAM)
HAM और EPC, BOT के बीच अंतर क्या है?
इंजीनियरों के लिए यह सबसे सामान्य सवाल हो सकता है। उन्हें यह जानने की जरूरत होती है कि हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल (HAM) में EPC और BOT के तत्वों का मिश्रण कैसे काम करता है। वे यह समझना चाहते हैं कि इस मॉडल में सरकार की भूमिका क्या है और निजी कंपनियों का वित्तीय और प्रबंधन संबंधी दायित्व क्या हैं।
प्राइवेट सेक्टर की वित्तीय भूमिका क्या है?
HAM मॉडल में, प्राइवेट सेक्टर को 60 प्रतिशत वित्त जुटाने की जिम्मेदारी दी जाती है। इंजीनियरों के दिमाग में यह सवाल हो सकता है कि इस 60 प्रतिशत की व्यवस्था कैसे होती है और क्या यह प्राइवेट कंपनियों के लिए एक स्थिर और व्यावसायिक दृष्टिकोण से फायदे का सौदा है या नहीं।
क्या HAM मॉडल के तहत जोखिम कम हो जाता है?
इस सवाल का संबंध प्रमुख रूप से जोखिम प्रबंधन से है। इंजीनियर यह जानना चाहते हैं कि क्या इस मॉडल में सरकारी और निजी दोनों पक्षों के बीच जोखिम समान रूप से बांटे जाते हैं, और इसका प्रोजेक्ट के सफलतापूर्वक पूरा होने पर क्या प्रभाव पड़ता है।
क्या सरकार के द्वारा 40% फंडिंग एक स्थिर वित्तीय उपाय है?
इस सवाल का संबंध प्रमुख रूप से जोखिम प्रबंधन से है। इंजीनियर यह जानना चाहते हैं कि क्या इस मॉडल में सरकारी और निजी दोनों पक्षों के बीच जोखिम समान रूप से बांटे जाते हैं, और इसका प्रोजेक्ट के सफलतापूर्वक पूरा होने पर क्या प्रभाव पड़ता है।
क्या HAM मॉडल से सड़क बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा?
इंजीनियरों को यह भी जानने की जिज्ञासा हो सकती है कि इस मॉडल के तहत काम करने से सड़क परियोजनाओं की गुणवत्ता पर कोई असर पड़ेगा या नहीं। क्या सरकार और निजी क्षेत्र के सहयोग से गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकती है?
क्या HAM मॉडल से सड़क बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता पर असर HAM मॉडल में टोल संग्रह की जिम्मेदारी किसकी होगी?
इंजीनियरों के दिमाग में यह सवाल भी आ सकता है कि इस मॉडल के तहत टोल संग्रह का कार्य सरकार या निजी कंपनियों द्वारा किया जाएगा। यदि निजी कंपनियों को टोल संग्रह की जिम्मेदारी दी जाती है, तो उनका राजस्व किस प्रकार से प्रभावित होगा?
क्या HAM मॉडल विकासशील देशों के लिए उपयुक्त है?
खासकर विकासशील देशों में, जहां बुनियादी ढांचा सुधार की आवश्यकता होती है, इंजीनियर यह जानना चाहते हैं कि क्या HAM मॉडल इन देशों के लिए उपयुक्त और व्यवहारिक है। क्या यह मॉडल बड़े पैमाने पर सफलता प्राप्त कर सकता है?
क्या यह मॉडल मेट्रो रेल या अन्य शहरी परियोजनाओं में लागू हो सकता है?
इंजनियरों को यह जानने की जिज्ञासा हो सकती है कि क्या HAM मॉडल को केवल सड़क परियोजनाओं तक सीमित रखा जा सकता है, या इसे शहरी बुनियादी ढांचा जैसे मेट्रो रेल परियोजनाओं में भी लागू किया जा सकता है।
क्या HAM मॉडल के तहत कार्य करते हुए निजी कंपनियों को सरकारी दखल से कोई चुनौती होती है?
यह सवाल इस बात को लेकर उठ सकता है कि जब सरकार और निजी कंपनियां मिलकर परियोजनाओं का संचालन करती हैं, तो क्या इसका कोई संगठनात्मक या प्रबंधनात्मक प्रभाव होता है, और क्या इससे किसी पार्टी को असुविधा होती है?
आखिरकार इस लेख से आप समझ गए होंगे कि सड़क निर्माण को लेकर सड़क की किसी भी निर्माण गतिविधि में कोई अंतर नहीं हुआ है। अंतर सिर्फ प्रोजेक्ट की बिलिंग और पेमेंट को लेकर हुआ है। इसलिए, गुणवत्ता संबंधित निर्माण संबंधित किसी भी रूपरेखा में बदलाव न होने की वजह से कोई भी मोड़ अपने आप अहम है, रोड निर्माण कंपनियों में भाग लेने वाले ठेकेदारों के साथ काम करने वाले कम अनुभवी बिलिंग इंजीनियर या क्वांटिटी सर्वेयर अक्सर पेमेंट आईपीसी और माइलस्टोन पेमेंट बनाते समय बहुत सारी गलतियाँ करते हैं।आखिर वे गलतियां क्या होती हैं ? हम आगे भी इन विषयों पर गहरी रोशनी डालेंगे, इसलिए आप अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट magicneed.com कॉम के साथ जुड़े रहें।
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