IRC SP 106: भारतीय सड़कों पर भूस्खलन नियंत्रण के लिए इंजीनियरिंग दिशा-निर्देश (Bhartiya sadkon par bhuskhalan niyantran ke liye enginering disa nirdesh)

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IRC SP 106: Bhartiya sadkon par bhuskhalan niyantran ke liye enginering disa nirdesh

“Engineering guidelines for landslide control on Indian roads” भारतीय सड़कें और राजमार्ग देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए रीढ़ की हड्डी के समान हैं। लेकिन पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में भूस्खलन इन सड़कों की संरचना और उपयोगिता के लिए गंभीर खतरा है। ऐसे में “IRC SP 106: भारतीय सड़कों पर भूस्खलन नियंत्रण के लिए सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और दृढ़ता हेतु इंजीनियरिंग दिशा-निर्देश” एक अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो सड़कों पर भूस्खलन प्रबंधन के लिए व्यापक रणनीतियाँ और दिशा-निर्देश प्रदान करता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।


भूस्खलन क्या है?

भूस्खलन एक प्राकृतिक आपदा है, जिसमें मिट्टी, चट्टानें और अन्य मलबा गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से नीचे की ओर खिसकता है। भारतीय सड़कों पर भूस्खलन मुख्यतः निम्न कारणों से होता है:

  1. भारी बारिश: पानी की अधिक मात्रा मिट्टी की स्थिरता को कमजोर कर देती है।
  2. भूकंप: भूकंप की वजह से चट्टानों में दरारें आ जाती हैं।
  3. निर्माण कार्य: अनियोजित खुदाई और भारी निर्माण उपकरणों का उपयोग भी भूस्खलन को बढ़ावा देता है।
  4. वनों की कटाई: पेड़ों की जड़ें मिट्टी को बांधकर रखती हैं, लेकिन वनों की कटाई से यह संतुलन बिगड़ जाता है।

IRC SP 106: Bhartiya sadkon par bhuskhalan niyantran ke liye enginering disa nirdesh
Image showing engineers using heavy machinery to clear a landslide blocking a road.

IRC SP 106 दस्तावेज का उद्देश्य

इस दस्तावेज का मुख्य उद्देश्य भारतीय सड़कों और राजमार्गों पर भूस्खलन की घटनाओं को रोकने और प्रबंधित करने के लिए ठोस इंजीनियरिंग समाधान प्रदान करना है। यह दिशा-निर्देश भूस्खलन के प्रकार, उनके कारणों और रोकथाम के तरीकों पर केंद्रित है।


भूस्खलन नियंत्रण के उपाय (Landslide Mitigation Measures)

1. ढलानों का स्थिरीकरण (Slope Stabilization)

i. सतह सुरक्षा (Surface Protection):

  • बायोइंजीनियरिंग तकनीक: ढलानों पर घास, झाड़ियाँ और छोटे पेड़ लगाने से मिट्टी को बांधने में मदद मिलती है।
  • जियोटेक्सटाइल शीट्स: ये शीट्स मिट्टी को खिसकने से रोकती हैं।

ii. ढलान सुधार (Slope Reshaping):

  • खड़ी ढलानों को कटिंग और फिलिंग तकनीक के माध्यम से अधिक स्थिर बनाया जाता है।

iii. ड्रेनेज सिस्टम का सुधार:

  • बारिश के पानी को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी जल निकासी प्रणाली का निर्माण किया जाता है।
  • फ्रेंच ड्रेन और पेरफोरेटेड पाइप्स का उपयोग पानी को तेजी से निकालने के लिए किया जाता है।

2. रिटेनिंग स्ट्रक्चर्स (Retaining Structures)

i. रिटेनिंग वॉल्स (Retaining Walls):

  • ये दीवारें मिट्टी और मलबे को खिसकने से रोकती हैं।

ii. गेबियन वॉल्स:

  • जस्ती स्टील वायर से बनी यह दीवारें स्थायित्व और लचीलापन प्रदान करती हैं।

iii. पाइल फाउंडेशन:

  • खतरनाक ढलानों के नीचे गहरे पाइल्स लगाकर संरचनात्मक स्थिरता सुनिश्चित की जाती है।

3. चट्टानों को नियंत्रित करना (Rockfall Mitigation)

i. रॉक बोल्टिंग:

  • चट्टानों को जगह पर स्थिर रखने के लिए स्टील के बोल्ट लगाए जाते हैं।

ii. वायर मेष और नेटिंग:

  • ढलानों पर जालीदार संरचनाएँ लगाकर गिरने वाली चट्टानों को रोका जाता है।

iii. कैचमेंट एरिया का निर्माण:

  • चट्टानों के गिरने की दिशा में सुरक्षा क्षेत्र का निर्माण किया जाता है।

4. सड़क निर्माण में सतर्कता (Precautions in Road Construction)

i. भू-तकनीकी सर्वेक्षण (Geotechnical Investigation):

  • सड़क निर्माण से पहले मिट्टी और चट्टानों का विस्तृत विश्लेषण किया जाना चाहिए।

ii. भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की पहचान:

  • GIS और रिमोट सेंसिंग तकनीकों का उपयोग कर संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की जाती है।

iii. सुरंगों का निर्माण (Tunnel Construction):

  • बहुत अधिक खतरनाक क्षेत्रों में सुरंगों का निर्माण करके सड़कों को सुरक्षित किया जाता है।

RC SP 106: Bhartiya sadkon par bhuskhalan niyantran ke liye enginering disa nirdesh
Engineers using heavy earth-moving machines to clear a road blocked by a landslide

भूस्खलन के बाद राहत कार्य

  1. तुरंत सड़क बंद करना: सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यातायात को रोका जाता है।
  2. मलबा हटाना: बुलडोजर और अन्य उपकरणों से मलबे को हटाया जाता है।
  3. अस्थायी सुरक्षात्मक उपाय: जैसे टारपॉलिन शीट्स और अस्थायी रिटेनिंग वॉल्स।
  4. लंबी अवधि की योजना: स्थायी ढलान स्थिरीकरण और रिटेनिंग स्ट्रक्चर्स का निर्माण।

IRC SP 106 के अन्य प्रमुख बिंदु

  • भूस्खलन प्रबंधन के लिए शिक्षा और जागरूकता अभियान।
  • स्थानीय लोगों और निर्माण टीम को प्रशिक्षण।
  • भूस्खलन रोकथाम के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग।
  • निगरानी प्रणाली (Monitoring Systems) का निर्माण।

निर्माण मार्ग में आने वाली बड़ी चट्टानों की गिरने से बचने के लिए engineers कुछ विशेष टेक्नीकका उपयोग करते हैं – Secured Drapery Systems या Reinforced Drapery Meshes:क्या होता है क्या आपके पता है ?


निष्कर्ष

“IRC SP 106” भारतीय सड़कों और राजमार्गों पर भूस्खलन की घटनाओं को रोकने और प्रबंधित करने के लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका है। इसमें दिए गए तकनीकी उपाय, भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की पहचान और स्थायी समाधान निर्माण प्रक्रिया को सरल और सुरक्षित बनाते हैं।

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